ओडली महादेव मन्दिर का इतिहास
एकत्रित जानकारी के अनुसार सन् 1895 ई0 में डूंगरी गाँव के निवासी स्वर्गीय श्री बेलम सिहं बिष्ट, स्वर्गीय श्री बीरबल सिहं नेगी, स्वर्गीय श्री मंगल सिहं नेगी एंव स्वर्गीय श्री बहादुर सिहं रावत द्वारा “घस्या महादेव मन्दिर, श्रीनगर, गढ़वाल, उत्तराखण्ड” में स्थापित लिंग को लाकर अपने गाँव में “घन्डायाल देवता” के मन्दिर में स्थापित कर दिया। तत्पश्चात् लगभग 5-10 वर्ष डूंगरी गाँव में अजीब प्राकृतिक आपदायें, महामारी इत्यादि फैल गई जिसमें डूंगरी गाँव के निवासियों को काफी जान-माल की क्षति उठानी पड़ी। गाँव के जानकार व्यक्तियों द्वारा इस समस्या से समाधान हेतु जब पूछ्यरों/बक्यों से समर्पक किया गया तो पता लगा की “घन्डायाल देवता” में जिस लिंग की स्थापना की गई है वो तो “स्थापित सिद्ध शिवलिंग” है इसको “घस्या महादेव मन्दिर, श्रीनगर से नही उठाना चाहिए था, इसी गलती की वजह से गाँव में जान-माल की क्षति हुई।
सन् 1905 से 1910ई0 के दरमयान डूंगरी गाँव के निवासीयों द्वारा इस “स्थापित सिद्ध शिवलिंग” को अपने “घन्डायाल देवता” के मन्दिर से हटाकर ओडली गाँव कि भूमि में दो नदियों के संगम के समीप एक पिपल के वृक्ष के निचे रख दिया गया। धिरे-धिरे उस “सिद्ध शिवलिंग” को उपर से ढकने लिए गाँव वालों द्वारा एक 3-4 फिट का छोटा सा मन्दिर बना दिया गया। सन् 1925 में डूंगरी गाँव के ही श्री आलम सिहं बिष्टजी नें वहां पर पहला बड़ा सांड चड़ाया था जिसको श्री जीत सिंह जी जो कि थापली गाँव (पैठाणी) के थे, के द्वारा बनाया गया था तथा दूसरा छोटा सांड नैणगड़ गाँव के श्री सते सिहं जी द्वारा चड़ाया गया था।