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Bhagwat 2014
Odli Mahakumbh – Bhagwat-2014 (May 26 to June 2, 2014) was organized because in the ancient tradition of Uttarakhand Dev Bhoomi, it is believed that if Shrimad Bhagwat Mahapuran is recited for the peace of the departed soul, then that The departed soul attains salvation, therefore, in this Mahayagya, along with the Bhagwat of our 108 ancestors, Shrimad Bhagwat Mahapuran recitation was also organized for the peace of the pious souls of the sedentary people who died in Uttarakhand-Kedarnath disaster last year in 2013. All the credit for successful completion of this auspicious and welfare great event goes to all those people who have contributed directly or indirectly or in any other way to this great work, no matter how little or even insignificant it may be. Why not to be. There was also a feeling at the core of this grand cultural event that one would get the pleasure of satsang with kind hearted soulful people. The second main reason for organizing this event was also that this cultural event reminds us of our culture, our values and the heritage of which we are proud, because if in this way we can preserve our roots, our origin, the form of our culture. If we go on forgetting, then the day is not far when our glorious culture will be extinct, along with this, we can again connect with our soil, our motherland, our soil, our motherland, even if only for a short time, with this excuse. It is our duty that if we all use even a small part of the prestige and recognition we have earned for the upliftment of our origin, our motherland, our village, our society, then only we will feel that we have achieved true success. “Broadness in thoughts and brotherhood in life should be the goal of life”. The main pillars of this work were all the members of the school family and the students, who successfully completed all this work under the supervision of Mr. Girish Chandra Naudiyal, Principal. Apart from this, Chhavi Lal Prajapati ji and Bahadurji and Sara Vidyal. Families who completed all the construction works on time by working day and night. Apart from this, we also heartily thank our guides, their family members and the residents of village Khanduli, Dungri, Jitoli and other villages, who have made their invaluable contribution in this great work, for this we would like to thank all of them on behalf of the entire Odli family. Hearty thanks.
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भागवत 2014
ओडली महाकुंभ- भागवत-2014 (26 मई से 2 जून, 2014) के आयोजन को करने का मूल कारण था की उत्तराखण्ड देव भूमि की प्राचीन परंपरा में यह मानना है कि अगर दिवंगत आत्मा की शांति के निमित श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ करवाया जाए तो उस दिवंगत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ती होती है इस लिए इस महायज्ञ में अपने 108 पितरों की भागवत के साथ-साथ पिछले वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड-केदारनाथ आपदा में मृत गतिहीन लोगों की पूण्य आत्माओं की शांति के लिए भी श्रीमद्भागवत महापुराण पाठ का आयोजन किया गया। इस अति मंगलकारी एवं कल्याणकारी महान आयोजन को सफलतापूर्वक समपन्न करने का सारा श्रेय उन सभी लोगों को जाता है जिनका इस महान कार्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष या किसी अन्य तरह से कोई भी योगदान रहा है भले ही वो कितना ही कम यहां तक की बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो। इस वृहत सांस्कृतिक आयोजन के मूल में एक भावना यह भी थी कि सज्जन सह्रदय आत्मीय किस्म के लोगों के साथ सत्संग का सुख मिलेगा। इस आयोजन को करने का दूसरा मूख्य कारण यह भी था कि यही सांस्कृतिक आयोजन हमको अपनी संस्कृति, अपने संस्कारों एवं उन धरोहरों की यादें ताजा कराती हैं जिन पर हमें गर्व है क्योंकी अगर इसी प्रकार हम अपनी जड़ों, अपने मूल, अपनी संस्कृति के स्वरूप को भूलते जायेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी गौरवशाली संस्कृति विलुप्त हो जाएगी इसके साथ-साथ इसी बहाने से हम फिर से, चाहे थोङ़े ही समय के लिए अपनी उस देवभूमि के शांत निश्चछल जीवन, अपनी माटी, अपनी मातृभूमि से जुङ़ पाये और वैसे भी हमारा यह कर्तव्य बनता है कि जो प्रतिष्ठा एवं पहचान हमने पाई है अगर उस पहचान का थोड़ा सा भाग भी हम सभी अपने मूल, अपनी मातृभूमि, अपने गाँव, अपने समाज के उत्थान में लगायें तभी हमें लगेगा की हमने सच्ची सफलता पाई है। “विचारों में विशालता और जीवन में बंधुता आये यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए”। इस कार्य के मुख्य स्तभं थे विद्यालय परिवार के सारे सदस्य व विद्यार्थीगण जिन्होने श्री गिरिश चन्द्र नौडियाल, प्रधानाचार्य की देख-रेख में इस सारे कार्य को सफलता पूर्वक समपन्न करवाया। इसके अतिरिक्त छवीलाल प्रजापती जी व बहादूरजी व सारा विद्याल. परिवार जिन्होने सारे निर्माण कार्यों को रात-दिन करके समय पर पूरा किया। इसके अतिरिक्त अपनी दिशा-ध्याणियों उनके परिवार के सदस्यों एंव ग्राम खण्डूली, डूंगरी, जितोली एवं अन्य गाँवों के निवासियों का भी हम हार्दिक धन्यवाद करते हैं जिन्होंने इस महान कार्य में अपना अमुल्य योगदान दिया इसके लिए हम समस्त ओडली परिवार की तरफ से उन सभी का हार्दिक आभार प्रकट करते हैं।