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Kul Devi Bhagwati Mandir
The renovation work of the temple of our Kuldevi Maa Bhagwati started in the year 2005 and was completed in May, 2006 by organizing a seven-day Shrimad Devi Bhagwat. The main reason for its renovation was earlier the closet made by our forefathers which had to be made again and again due to being made of tiles. The main purpose of organizing Devi Bhagwat was that this cultural event of ours reminds us of our culture, our values and the heritage of which we are proud, because if in this way we will forget our roots, our origin, the nature of our culture. So the day is not far when our glorious culture will be extinct and along with it, we will be able to connect with our motherland, our soil, our motherland, even if only for a short time, with this pretext. It is our duty that if we all use even a small part of the prestige and recognition that we have earned for the upliftment of our origin, our motherland, our village, our society, only then we will feel that we have achieved true success.
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कुल देवी भगवती मंदिर
हमारी कुलदेवी माँ भगवती के मन्दिर के जिर्णोद्धार का कार्य सन् 2005 में शुरू होकर उसका समापन्न मई, 2006 में सात दिन की श्रीमद् देवी भागवत के आयोजन से किया गया। इसके जिर्णोद्धार का मुख्य कारण पहले यह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई कोठरी जो की खपरैल की होने की वजह से इसको बार-बार बनवाना पड़ रहा था। देवी भागवत के आयोजन का मुख्य उद्देश्य था कि हमारे यही सांस्कृतिक आयोजन हमको अपनी संस्कृति, अपने संस्कारों एवं उन धरोहरों की यादें ताजा कराती हैं जिन पर हमें गर्व है क्योंकी अगर इसी प्रकार हम अपनी जड़ों, अपने मूल, अपनी संस्कृति के स्वरूप को भूलते जायेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी गौरवशाली संस्कृति विलुप्त हो जाएगी इसके साथ-साथ इसी बहाने से हम फिर से, चाहे थोङ़े ही समय के लिए अपनी उस देवभूमि के शांत निश्चछल जीवन, अपनी माटी, अपनी मातृभूमि से जुङ़ पाये और वैसे भी हमारा यह कर्तव्य बनता है कि जो प्रतिष्ठा एवं पहचान हमने पाई है अगर उस पहचान का थोड़ा सा भाग भी हम सभी अपने मूल, अपनी मातृभूमि, अपने गाँव, अपने समाज के उत्थान में लगायें तभी हमें लगेगा की हमने सच्ची सफलता पाई है।