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Renovation of Shivalaya
In the year 2012, under “Religious Activities”, when the history of “Siddha Shivling” of “Siddhapitth Omkeshwar Mahadev Temple, Odli” was known, it was decided that the renovation of the old temple should be in accordance with Siddhapitth, for which discussions were held with many religious leaders. done. On March 10, 2013, on the auspicious occasion of Mahashivratri, the work of renovating the old temple was unanimously started and till now, in place of 5-6 feet temple, a new 15 feet X 15 feet main temple with granite stone on the floor. Has been installed and in the lower part of “Siddha Shivling” in place of old jewelry, Makrana stone jewelry (Shakti) has been made. Apart from this, the entire temple (including the dome of 17 feet) is being made of red Dholpur stone from Rajasthan, which has 3 big windows of 4 feet X 3 feet of red stone on all three sides, the main gate of 4 feet X 7 feet, which is a red stone arch, pillars. And is equipped with carvings (Photo 9). Apart from this, a big hall of 25 feet X 33 feet has been built, which is being used for Rudri, Satsang and other purposes, besides this, a room and a smokehouse have also been constructed for Mahatmaji living here. The work of all this construction has been done by Prajapati Chabilal ji. Its main objective is to make this area religiously famous so that along with continuing the mythological beliefs, cultural heritage can also be saved. For complete renovation of Mahadev temple, 19 tons of red Dholpur stone has been brought there from Rajasthan and pillars, arches, windows, domes and walls etc. are being constructed using it.
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शिवालय का जीर्णोद्धार
“धार्मिक गतिविधियों” के अन्तर्गत सन् 2012 में “सिद्धपिठ्ठ् ओउमकेश्वर महादेव मन्दिर, ओडली” के “सिद्ध शिवलिंग” के इतिहास बारे में जब पता लगा तो निर्णय लिया गया की पूराने मन्दिर का जिर्णोद्धार सिद्धपिठ्ठ् के अनुरूप ही होना चाहिए जिसके लिए कई धर्मगुरूओं से चर्चा की गई। दिनांक 10 मार्च, 2013 महाशिवरात्री के पावन अवसर पर सर्वसम्मति से विधि-विधान से पूराने मन्दिर के जिर्णोद्धार का कार्य प्रारम्भ किया गया तथा अब तक 5-6 फिट मन्दिर के स्थान पर नया 15 फिट X 15 फिट का मुख्य मन्दिर जिसके फर्श पर ग्रेनाईट पत्थर लगाया गया गया है तथा “सिद्ध शिवलिंग” के निचले भाग में पुरानी जल्लेरी के स्थान पर मकराना पत्थर की जल्लेरी (शक्ति) का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त पूरा मन्दिर (17 फिट के गुम्बद समेत) राजस्थान के लाल धौलपूर पत्थर से बनाया जा रहा है जिसके तीनों तरफ लाल पत्थर की 4फीट X 3फिट की 3 बड़ी खिड़कियां हैं, 4फीट X 7फिट का मुख्य द्वार है जोकि लाल पत्थर की मेहराब, खम्बों व नक्काशी से सुसज्जित है (Photo 9)। इसके अतिरिक्त 25 फीट X 33 फिट का एक बड़ा हॉल बनाया गया है जिसका उपयोग रूद्री, सत्संग व अन्य उपयोगों के लिए हो रहा है इसके अतिरिक्त यहां पर रहने वाले माहात्माजी के लिए एक कमरे व धूनीघर का भी निर्माण किया गया है। इस सारे निर्माण का कार्यभार प्रजापति छविलाल जी द्वारा किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र को धार्मिक रूप से विख्यात बनाना है ताकि पौराणिक मान्यताओं को जारी रखने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहरों को भी बचाया जा सके। महादेव मन्दिर के पूर्णरूप से जिर्णोंद्धार के लिए राजस्थान से 19 टन लाल धौलपूर पत्थर वहां पर पंहुचाया जा चुका है एंव इसके उपयोग से खम्बों, मैहराब, खिड़ीकीयों, गुम्बद व दिवारों आदि का निर्माण किया जा रहा है।